NB/KR/2F/2.20
The House reassembled at twenty-one minutes past two of the clock, THE VICE-CHAIRMAN (PROF.P.J. KURIEN) in the Chair.
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THE VICE-CHAIRMAN: Now, we will take up the Life Insurance Corporation (Amendment) Bill, 2011.
Shri Namo Narain Meena
THE LIFE INSURANCE CORPORATION (AMENDMENT) BILL, 2011
THE MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF FINANCE (SHRI NAMO NARAIN MEENA): Mr. Vice-Chairman, Sir, on behalf of my senior colleague, Shri Pranab Mukherjee, I move:
That the Bill further to amend the Life Insurance Corporation Act, 1956, as passed by Lok Sabha, be taken into consideration.
The basic objective of the LIC (amendment) Bill, 2011 is to bring the LIC Act, 1956 in consonance with the Insurance Act, 1938.
The Bill proposes to provide for raising minimum capital of the LIC from Rs.5 crores to Rs.100 crores to make it in consonance with the provisions under the Insurance Act, 1938, to enable LIC to create a Reserve Fund to be utilised for expansion of LIC's business and empower LIC to make regulations in respect of terms and conditions of the Agents.
The LIC (Amendment) Bill, 2009 was introduced in the 15th Lok Sabha on 31st July, 2009 and it was referred to the Standing Committee on Finance.
The Standing Committee presented its report to the Parliament on 12.3.2010. The Government have accepted almost all the major recommendations of the Committee including raising of capital beyond Rs.100 crores by further amendment of the Act rather than by Government Notification, enable LIC to raise other forms of capital for meeting their working capital requirements, maintaining the sovereign guarantee to the LIC policies and allow LIC to retain the powers of opening new branches while following the guidelines of IRDA.
However, the recommendations of the Standing Committee under Clause 5 pertaining to the distribution of valuation surplus could not be accepted because the provision should be kept in accordance with provisions of the Section 49 of the Insurance Act, 1938 and which is applicable to all other life insurance companies in the country. Presently, LIC is dependent on the financial support from the Government of India for expanding its operations. The funds so reserved will be used only for meeting the expenses towards expansion of insurance business, strengthen solvency margin and also help in fulfilling social sector objectives. Here, I would like to emphasise that the operation of this amendment will be with prospective effect and the existing policyholders will not be affected.
(Continued by 2G/MKS)
MKS-MP/2.25/2G
SHRI NAMO NARAIN MEENA (CONTD.): Further, vide clauses 8 and 9(i), it is proposed to shift framing of rules with respect to the terms and conditions of the agents by the Central Government and empower the LIC to frame regulations, with previous approval of the Central Government. These amendments would give flexibility to LIC to take care of the professional training needs of the agents and of their welfare, which is in line with the spirit of the recommendations of the Standing Committee. Based on the Report of the Standing Committee, the Government introduced official amendments to the LIC (Amendment) Bill, 2009 in the Lok Sabha on 12th December, 2011.
The Lok Sabha considered and passed the LIC (Amendment) Bill, 2009 with official amendments. With these words, Sir, I commend the Bill to the august House for consideration and passing.
(Ends)
The question was proposed.
��काश जावडेकर (महारा��टर्) : उपसभाध्यक्ष महोदय, म�� इस ����ताव को एक नए तरीके से ��प��ट करना चाहता हूं। इशू क्या है? ऊपर से तो मंतर्ी महोदय ने बताया िक केवल पांच करोड़ का कैिपटल है, उसको सौ करोड़ करने के िलए िबल लाया गया है, लेिकन क्या वा��तिवकता यही थी? एक छोटे से िबल के सब-सैक्शन को जब हमने देखा तो पांच-छ: बात�� उसम�� थीं।
अब वे बदल गईं लेिकन एल.आई.सी. के बीमाधारक�� को भारत सरकार की जो एक sovereign guarantee िमलती है, वह sovereign guarantee खत्म करने का ��ावधान उन्ह��ने िकया था। ��ट��िंडग कमेटी की िरकमंडेशन unanimous थी, इसिलए सरकार को ��वीकार करना पड़ा, तो सरकार का इरादा बहुत नेक नहीं था। यह मेरी पहली आपि�� है। दूसरा, उन्ह��ने जो िकया था िक अब एल.आई.सी. के branches कहां खुल��गे, Division Offices कहां खुल��गे, यह एल.आई.सी. तय नहीं करेगा, यह आई.आर.डी.ए. तय करेगा। तो यह िकसको रोज़गार दे रहे ह�� आप? LIC is a professional body, और financial parameters को आप ठीक कर��गे तो यह तो नवरत्न कंपनी है। आप जान-बूझकर इस नवरत्न कंपनी की professional autonomy को िनकालने की बात कर रहे थे, इसिलए उसका भी Finance की ��ट��िंडग कमेटी ने िवरोध िकया और वह आपको मानना पड़ा। सर, तीसरी बात, एल.आई.सी. के सोलह लाख agents ह��, यह आपको पता होगा। आपने जब पहली पॉिलसी ली होगी, तब वह आपने जान-बूझकर नहीं ली होगी। कोई agent आता है, चार बार घर म�� िमलता है, िफर हम एल.आई.सी. की पहली पॉिलसी लेते ह��। एल.आई.सी. की पहली पॉिलसी जब लेते ह��, तो ऐसा काम करके insurance business को देहात�� म��
पहुंचाने वाला यह एल.आई.सी. का agent होता है। उसके िरकर्ूटम��ट, उसके सिर्वस रू��स, उसकी चीज़�� को भी आई.आर.डी.ए. तय करेगा, यह कौन सा regulatory mechanism है? Regulatory mechanism िकसिलए होता है?
अगर वहां कोई ��लेयसर् ह�� और उनम�� कोई झगड़ा होता है तो झगड़े का िनराकरण करने के िलए वह होता है। एक तरह से arbitration का रोल है, लेिकन वे एक तरह से ऐसा कर रहे ह�� िक ��ाइवेट सैक्टर�� को कैसे लाभ होगा और एल.आई.सी. डूब कैसे जाएगी, अगर ऐसा provision आप कर��गे, तो हम यह सहन नहीं कर��गे। इसिलए Finance Committee ने यह भी कहा और इसको सरकार ने भी माना है, लेिकन सर, आज दो बात�� म�� आपके सामने रख रहा हूं। आपको पता होगा, एल.आई.सी. को िजतना भी नेट ��ॉिफट िमलता है, वह जो इनका distributable surplus है, उसम�� से 95 परस��ट बीमाधारक�� का होता है। आज आपने यह बदलकर 90 परस��ट िकया, तो क्या आसमान टूट गया था क्या बुरा हो रहा था? लेिकन अब जब 95 का 90 िकया है, तो क्या बुरा होने वाला है, यह म�� बताने जा रहा हूं। लगता है िक ये 5 फीसदी कम कर��गे, लेिकन 5 फीसदी कम करके क्या कर��गे? वह जो खतरनाक provision है, उसको देिखए। What the law says or now, what the Amendment Bill says is, ninety per cent, instead of 95 per cent, or more of such surplus, as the Central Government may approve, shall be allocated or reserved for the life insurance policyholders of the Corporation.” “Such percentage of remaining surplus as the Central Government may approve shall be credited to a separate account maintained by the Corporation.“ So, the LIC will create one new account and we will put the money into it; five per cent is thus saved.
(Contd. by TMV/2H)
-MKS-TMV-SC/2H/2.30
SHRI PRAKASH JAVADEKAR (CONTD.): Then, what will it do? “The funds available in the account maintained by the Corporation under clause (b) of sub-section (1) shall be utilised -- not by the Corporation -- for such purpose and in such manner as the Central Government may determine”.
You are taking away the financial freedom and autonomy of the LIC by adding this provision. This is an insult to our original scheme of arrangement, as far as LIC is concerned. हम�� समझना चािहए िक आज के िहसाब से 5 परस��ट का मतलब हर साल एक हजार करोड़ रुपए होता है और पांच साल म�� वह दो-चार हजार करोड़ रुपए बनते ह��। आप एक हजार करोड़ रुपए का एक फंड अलग बनाएंगे और यह खचर् कैसे होगा, इस बात को एलआईसी तय नहीं करेगी, यह केन्दर् सरकार तय करेगी। इस तरह से जो पॉिलसी हो��डसर् का हक है, उसका क्या होगा? केवल इतना ही नहीं है, उससे competitiveness of LIC is impacted adversely. This is the more serious point. Why are you interested in reducing the existing system? You have not given, Mr. Minister, any rationale for it. You must say why you want to reduce it. हां, अगर ऐसा कुछ
होता िक सरकार को पैसा चािहए, इसी वजह से हम लोग�� को नहीं द��गे - चूंिक सरकार को बहुत सारा िफ��कल डेफेिसट है, सरकार के बहुत ज्यादा खच�� हुए ह��, इसिलए सरकार को पैसा चािहए, ऐसा कोई कहे और मांगे तो करो, लेिकन आज आप एलआईसी पॉिलसी हो��डसर् के पांच परस��ट िनकाल��गे और उसे अपनी मजीर् से खचर् कर��गे, यह कतई नागवार है, इसे हम कभी सहन नहीं कर��गे। महोदय, आज ��ाइवेट ��लेयसर् से ज्यादा कैपेिसटी एलआईसी की क्य�� है? आज लोग एलआईसी की पॉिलसी म�� क्य�� िव��वास करते ह��? लोग एलआईसी म�� इसिलए ज्यादा िव��वास करते ह�� क्य��िक एलआईसी का िरटनर् उनसे ज्यादा है। ��ाइवेट इं��योर��स क��पनीज़ की ऐडविर्टज़म��ट बहुत अच्छी होती है, लेिकन उनकी ऐडविर्टज़म��ट से एलआईसी का िरटनर् ज्यादा है, क्लेम सेटलम��ट का रे��यो ज्यादा है, इसीिलए लोग एलआईसी की पॉिलसी खरीदते ह��। आप उसकी कंपीिटिटवनेस को ही खत्म करना चाहते ह�� - आज आपने उसे 90 परस��ट िकया, कल 85 कर��गे और िफर 80 कर द��गे! आप ऐसा क्य�� कर रहे ह��? इसका कोई तुक नहीं बनता है। महोदय, म��ने इस संबंध म�� अम��डम��ट भी िदया है। यह एक अम��डम��ट होना रहता है। हम चाहते ह�� िक सरकार इसको भी ��वीकार करे। अगर लोक सभा म�� ��ट��िंडग कमेटी की िरपोटर् के बाद एक तरह से आपने चार अम��डम��ट्स ��वीकार िकए, चार िसफािरश�� ��वीकार कीं तो राज्य सभा की भी एक िसफािरश है िक 95 परस��ट का जो 90 परस��ट िकया है, उसको आप उ��टा करो और पहले जैसे 95 परस��ट हो��डर का रखो। यह हमारी मांग है, इसे आपको समझना चािहए। एक और चीज़ है, वह मेरा ला��ट मु��ा है जो बहुत महत्वपूणर् है। महोदय, अच्छा है िक िचद��बरम जी यहां पर ह��। I am reading clause 6. It says:
“6. In section 37 of the principal Act, the following proviso shall be inserted, namely: ”.
What are you inserting? पहले अलग था, अब उसे थोड़ा बदल िदया है, लेिकन अभी भी क्या है?
“ Provided that the Corporation shall endeavour that its funds are invested in the attractive schemes formulated by it to ensure increased bonus to policyholders while having least investment risk so as to enable the Corporation to play a greater role in economic enrichment of the masses while maintaining its position as a leading player in the market”. चार रोल ह�� -- leading player in the market, economic enrichment of masses, least investment risk and increased bonus to policyholders. इसके िलए ऐसा इन्वे��टम��ट करो, िजससे वह बहुत खुश हो। आज एलआईसी की क्या अव��था है? एलआईसी म�� मई महीने से लेकर आज तक चेयरमैन तक नहीं ह��। जो पहले चेयरमैन चले गए, वे आज एमडी बन गए ह�� क्य��िक उनका कायर्काल पूरा हो गया, लेिकन नए चेयरमैन की िनयुि�� आज तक नहीं हुई। पहले जो चेयरमैन थे, जो अब एमडी बन गए ह��, वे घर म�� बैठे ह��, मई महीने से एक िदन भी वे काम पर नहीं आए ह��
इसका मतलब क्या है? No chairman and no managing director. अगर एलआईसी की यह ि��थित है तो क्या होगा? इसिलए हम�� इस बात को समझना चािहए। आपका इरादा एफडीआई लाने का है, आपका इरादा ��ाइवेट क��पिनय�� को फायदा पहुंचाने का है, आपका इरादा नेक नहीं है, आपका इरादा एलआईसी को उ��टा करने का है, इसिलए हम यह बात कह रहे ह��। सर, इन्वे��टम��ट कैसे करते ह��? आपको याद होगा िक 2जी ��पेक्टर्म म�� यूनीटेक का नाम है। अब यूनीटेक ने वहां पैसा पहुंचाया, सीबीआई कह रही है, यूनीटेक ने जो पैसा वहां पहुंचाया, वह एलआईसी ने कैसे वापस िदया, यह कहानी है, यह ��कैम है।
(2जे-एमसीएम पर कर्मश:)
VK-MCM/2J/2.35
��ी ��काश जावडेकर (कर्मागत) : यूिनटेक के दो करोड़ शेयर 314 रुपए के दाम से 682 करोड़ देकर एल0आई0सी0 को खरीदने को बाध्य िकया गया। 682 करोड़ रुपए खचर् करके यूिनटेक के शेयर खरीदे। कब खरीदे? सर, जब 2008 म�� घोटाला हो रहा था, जब यूिनटेक से पैसा 2जी के लाभािर्थय�� को जा रहा था, तब यूिनटेक के शेयर 314 रुपए म�� खरीदे और आज उसकी कीमत क्या है? आज उसके दाम िसफर् 44 रुपए है। इस तरह से 640 करोड़ का नुकसान है। केवल एक ��यवहार म�� एल0आई0सी0 को, पॉिलसी धारक�� को, तु��ह��, हम��, सबको यह जो लॉस हुआ है, वह हम�� समझना चािहए। सर, दूसरी भी 2जी की क��पिनयां ह��। डी0बी0 िरअ◌े��टी है। इसके 14 लाख शेयर एल0आई0सी0 ने िलए और ये शेयर 468 रुपए के दाम से िलए। इसका आज दाम केवल 64 रुपया है। लॉस है 60 करोड़ रुपए। अब ओमेक्स तीसरा िब��डर है। उसका भी नाम इसम�� आया। उनके 29 लाख शेयर 456 रुपए के दाम से िलए। आज इसका 145 रुपए दाम है। इसम�� 91 करोड़ का लॉस है।
सर, अंसल िब��डर भी है, इसके 22 लाख शेयर 266 रुपए के भाव से िलए, िजसका आज 26 रुपए दाम है। एल0आई0सी0 का घाटा 55 करोड़ रुपए है।
सर, उस समय िचद��बरम जी िव�� मंतर्ी थे। आर0बी0आई0 सक्यर्ूलर िनकालती है िक िरअ��टी सैक्टर म�� दिरयािदली िदखाओ, िदलदार होकर पैसा बांटो, िरअ��टी सैक्टर म�� इंवे��ट करो। तो एल0आई0सी0 ने बांट िदया, िजसम�� 5 हजार करोड़ इंवे��ट िकया। आज 5 हजार करोड़ की कीमत एक हजार करोड़ भी नहीं रही है। यह 4 हजार करोड़ का ��केम है। अगर इस तरह के इंवे��टम��ट म�� गवनर्म��ट दखल करेगी तो यह िब��कुल देश के साथ धोखा होगा। इसिलए म�� मांग करता हूं ऐसी िखलवाड़ एल0आई0सी0 के साथ मत करो। सर, म�� वहां ऑिफससर् यूिनयन का ��ेजीड��ट हूं। म�� यह कहना चाहता हूं िक आप एल0आई0सी0 के साथ िखलवाड़ मत करो, उसको तुरन्त नवरत्न का दजार् दे दो। उसकी जो एिफिसएंसी ��ोफेशनल है उसको बढ़ाने के िलए काम करो और सरकार उसम�� बाधा न बने। यह जो 95 परस��ट का 90 परस��ट कर रहे ह��, उस पर राज्य सभा म�� सब लोग बोल��गे, जो भी आपको स��स िमलेगा, आप उसको वािपस ल��। इसम�� आप िंजदािदली िदखाओ और वह िदखाओगे तो हम इस िबल का जरूर समथर्न कर��गे, क्य��िक आपने बाकी चीज�� मान ली ह��, एक ही रही है। वह काम करो और गवनर्म��ट का इंटरव��शन खत्म करो। बहुत-बहुत धन्यवाद।
(समा��त)